Friday, 14 July 2017

काल से कौन छुड़ा सकता है ?

ऐसा कोई न दीखै भाई। अंत समय में लेई छुड़ाई।।
अहै एक सो कहौं बखानी। जेही अनुराग होय सो मानी।।
सतगुरू आहि छुड़ावन हारा। निश्चय मानो कहा हमारा।।

इस संपूर्ण जगत के अंतर्गत ऐसा कोई भी समर्थ हिखाई नहीं पड़ता कि जो जीवन के अंत समय में मनुष्य को मृत्यु से छुड़ा ले  एक ​अवश्य है, जिसका मैं स्पष्ट वर्णन करता हूं, किंतु जिसके हृदय में सच्चा अनुराग होगा, वही उसे मानेगा,

                                                       एक सदगुरू है,जो जीव को काल से छुड़ा 
लेता है, यह तुम निश्चय मानो।
काल 

No comments:

Post a Comment